ग़ुस्ल (स्नान) का बयान।
✨ इस्लाम धर्म में स्नान करने का तरीक़ा क्या है ?
मेरे प्यारे दोस्तों ! इस्लाम एक पाक़ीज़ा पाक धर्म है। इसलिए पाक व साफ़ से संबंधित बारीकी के साथ हर एक बात का ख़्याल रखा है। और इस धर्म के चाहने मानने वालों केलिए पाकी ईमान का एक हिस्सा बताया गया है। इस पोस्ट में स्नान करने का सही तरीक़ा बताने की कोशिश किया हूंँ। इस पोस्ट को लाइक कमेंट शेयर ज़रूर करें।
स्नान करने का तरीक़ा यह है। कि पहले दिल में स्नान करने की नियत करके दोनों हाथों को गट्टों तक तीन बार धोएं। फिर इस्तंजा की जगह को धोए। इसके बाद पूरे बदन पर नजासते ह़की़क़िया यानी पेशाब या पाखा़ना इत्यादि चीज़ें हो तो उसे साफ करें फिर नमाज़ के वज़ू की तरह वज़ू करें मगर पाँव ना धोएं। हांँ अगर चौकी या पत्थर इत्यादि ऊंची जगह पर स्नान करते हों तो पांव को भी धो डालें,। उसके बाद पूरे बदन पर पानी से तेल की तरह लगाए, फिर तीन बार दाहिने कांधे पर पानी बहाए और शेर तीन बार बाएं कांधे पर, फिर सर पर और पूरे बदन पर 3 बार पानी बहाए, तमाम बदन पर हाथ फेरे और मले, फिर नहाने के बाद जल्दी से कपड़ा पहन लें।
स्नान में कितनी बातें फ़र्ज़ हैं ?♦️ ग़ुस्ल में तीन बातें फ़र्ज़ हैं।
1 » कुल्ली करना।
2 » नाक 👃 में पानी डालना।
3 » तमाम ज़ाहिर बदन पर सर से पांँव तक पानी बहाने।
ग़ुस्ल(स्नान) में कितनी बातें सुन्नत हैं।
1» नीचे लिखे हुई तमाम बातें हैं स्नान में सुन्नत हैं।
2» स्नान करने की नियत करना।
3» दोनों हाथों को गट्टों तक तीन बंद होना।
4 » इस्तंजा करना इस्तनजा की जगह धोना।
5 » बदन पर जहांँ कहींँ पर नजासत लगी हो उसे दूर करना।
7 » नमाज़ जैसा वज़ू करना।
8 » बदन पर पानी से तेल की तरह हाथ फेरना।
9 » पहले दाहिने मुंडे पर फिर बाय मंडे पर।
10 » सिर पर और पूरे बदन पर 3 बार पानी बहाना।
11 » तमाम बदन पर हाथ फेरना और मलना।
12 » नहाते समय क़िब्ला रुख ना होना और अगर कपड़ा पहनकर नहाता हो तो कोई हर्ज नहीं।
13 » ऐसी जगह पर नहाना कि कोई ना देख।
14 » स्नान करते समय किसी तरह की बातें ना करना।
15 » कोई दुआ ना पढ़ना।
16 » औरतों को बैठकर नहाना।
17 » नहाने के बाद फौरन कपड़ा पहन लेना।
किन बातों से गुस्ल करना फ़र्ज़ हो जाता है ?
1 » मनी का अपनी जगह से शहवत के साथ जुदा होकर आलाए तनासुल से निकलना।
2 » एहतलाम होना।
3 » हशफा यानी लिंग का आगे वाला हिस्सा औरत के आगे या पीछे या मर्द के पीछे में डालना।
4 » दोनों सूरत में गुस्ल फ़र्ज़ होता है।
5 »हैज़ से फा़रिग हो ना।
6 » नफास खत्म होना।
स्नान के मकरूहात। यानी वह काम जो स्नान में नहीं होना चाहिए।
🌀 जुमा, ईद, बकर-ईद, अरफ़ा के दिन, और अहराम बांधते वक्त नहाना सुन्नत है।