तयम्मूम का बयान।
तयम्मूम क्या है ?
तयम्मुम एक ऐसा कार्य है जो कि बिल्कुल वज़ की तरह काम करता है। इसलिए तयम्मुम को वज़ का ख़लीफा कहा जाता है। जिस तरह एक वज़ू से आप नमाज़ कुरआन की तिलावत तस्बीह़ व तहलील और इत्यादि कार्यों को अंजाम देते हैं, उसी तरह एक तयम्मुम से भी इन कामों को आप कर सकते हैं।
तयम्मूम करना कब जायज़ है ?
जब इस्लाम के शरई़ क़ानून के मुताबिक़ [यानी तकरीबन 2 किलोमीटर] तक पानी ना मिल पाए, या पानी है लेकिन पानी इस्तेमाल करने पर वह क़ादिर नहीं है। यानी बीमार होने या बढ़ जाने का ज़्यादा डर है, या दुश्मन का ख़ौफ़ है कि अगर वज़ू बनाने के लिए वह जाए, तो उसको मार डालेगा ऐसी सूरत में तयम्मुम करना जायज़ हो जाता है। या इतनी सर्दी या ठंड का मौसम है कि पानी से वज़ बनाएगा, तो बीमार होने या मर जाने का डर है। तो ऐसी सूरत मैं भी तयम्मुम करना जायज़ है।
तयम्मूम की शर्तें।
1 तयम्मूम करने का उज़्र (कारण) पाया जाना।
2 जिस चीज़ से तयम्मूम किया जाए उसका पाक और जिनसे 3 ज़मीन से होना।
4 तयम्मूम के आज़ा(हिस्सा) पर सब जगह हाथ फेरना।
5 पूरे हाथ या तीन उंगलियों से तयम्मूम करना।
6 हाथ को ज़मीन पर हथेलियों की तरफ से मारना।
7 हद्स (बेवज़ू) हैज़,नफ़ास से होना।
तयम्मुम में कितनी बातें बातें फ़र्ज़ हैं ? [जिनके बगैर तयम्मुम नहीं होता है।]
तयम्मूम में तीन बातें फ़र्ज़ हैं। नियत करना। पूरे चेहरे पर हाथ फेरना। दोनों हाथों का कहानियों समेत मसह करना। अगर अंगूठी पहनी है तो उसके नीचे हाथ फेरना फ़र्ज़ है। और अगर औरत चूड़ी या ज़ेवर पहनी हो तो उसको हटाकर उस हिस्सा पर हाथ फेरना फ़र्ज़ है।
किन चीज़ो से तयम्मुम करना जाइज़ है।
तयम्मुम में पाक मिट्टी, पत्थर, रेत बालू, मुल्तानी मिट्टी, गेरो यह एक लाल किसम की मिट्टी है। कच्ची या पक्की ईंट, मिट्टी और ईट, पत्थर या चूना की दीवार से तयम्मुम करना जायज़ है।
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किन चीज़ो से तयम्मुम करना जाइज़ नहीं।
सोना, चांदी, पीतल, तांबा, लोहा, लकड़ी, अल्मुनियम, कपड़ा, रात और हर किस्म के ग़ल्ला से तयम्मुम करना जायज़ नहीं। यानी जो चीज़े आग में पिघल जाती हैं या जलकर राख हो जाती हैं। ऐसी चीजों से तयम्मुम करना जायज़ नहीं है। हांँ अगर उस पर धूल,धब्बा,गर्द बालू पड़ गया हो, तो उस गर्द बालू दूल से तयम्मुम करना जायज़ है।
तयम्मूम करने का तरीका क्या है ?
तयम्मूमकरने का तरीका यह है कि पहले दिल में नियत करें, फिर दोनों हाथ की उंगलियां फैलाकर ज़मीन पर मारे और ज़्यादा गर्द लग जाए तो झाड़ले फिर उससे पूरे चेहरे का मसह करें फिर दोबारा दोनों हाथ को ज़मीन पर माकर दाहिने हाथ को बाएं हाथ से और बाएं हाथ को दाहिने हाथ से कहानियों (Elbows) समेत मले।
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जुबान से तयम्मुम की नियत करते समय यह पढ़ें !
{नवैतु अन अ-तयम्ममा तक़र्रूबन इलल्लाहि तआ़ला}
तयम्मुम का यह तरीक़ा वज़ू और गुस्ल दोनों केलिए है।
करना जायज नहीं है
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इस्लाम।