खाने पीने का सही तरीका।। इस्लाम में खाने पीने का सही तरीका क्या है।। खाने पीने का सही तरीका हदीस की रोशनी में।।

।। खाने पीने का सही तरीका हदीस की रोशनी में।।
।।इस्लाम में खाने पीने का सही तरीका क्या है।।
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हदीस नंबर 1:- हजरत ए हुजैफा रदीअल्लाहु ताला अनु से मरवी  है कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलैही वसल्लम ने फरमाया कि जिस खाने पर बिस्मिल्लाह ना पढ़ी जाए शैतान के लिए वह खाना हलाल हो जाता है।
यानी बिस्मिल्लाह ना पढ़ने की सूरत में शैतान उस खाने में शरीक हो जाता है और उस खाने की बरकत खत्म हो जाती है।

[सहीह मुस्लिम शरीफ]

हदीस नंबर 2:-  हजरते जाबिर रदी अल्लाह हू अन्हू से मरवी है। कि हुजूर अकरम सल्लल्लाहो अलैही वसल्लम ने फरमाया। जब कोई शख्स मकान में आए और दाखिल होते वक्त और खाने के वक्त उसने बिस्मिल्लाह पढ़ लिया। तो शैतान अपनी टीम से कहता है कि इस घर में ना तुम्हें रहने की जगह मिलेगी। ना ही खाने मिलेगा। और जो शख्स घर में दाखिल होते वक्त और खाना खाते समय बिस्मिल्लाह ना पड़ी। तो 😈 शैतान कहता है अब तुम्हें रहने की जगह और खाने को खाना मिल गया।।

[सहीह मुस्लिम शरीफ]

हदीस नंबर 3:-  ‌‌हजरते आयशा रदी अल्लाहु अनहा से रावी है। कि हुजूर सल्लल्लाहू वसल्लम ने फरमाया। जो कोई शख्स खाना खाऐ, तो अल्लाह के नाम से शुरू करे।
[यानी बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम पढ़े] और अगर शुरू में बिस्मिल्लाह पढ़ना भूल जाए तो यह पढ़े [बिस्मिल्लाह ही अव्वल हू वआखीर हू] और दूसरी रवायत में इस तरह भी है (बिस्मिल्लाह ही फी अव्वलि-ही वआखिरी-ही) 

[अबू दाऊद शरीफ, तिर्मीजी शरीफ]

हदीस नंबर 4:- [अबू दाऊद ने] उमैया बिन महशी रदी अल्लाहु अन्हु से रिवायत की। कहते हैं एक शख्स बगैर बिस्मिल्लाह पढ़े खाना खा रहा था। जब खाना खा चुका, सिर्फ एक लुकमा बाकी रह गया, यह लुकमा उठाया और यह कहा &बिस्मिल्लाह ही अव्वलहु-व-आखीर-हु] तो रसूलअल्लाह सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने तबस्सुम फरमाया। और यह फरमाया कि शैतान इसके साथ खा रहा था। जब इसने अल्लाह का नाम लिया, जो कुछ शैतान के पेट में था, उसने उगल दिया।

 [यानी इसके यह भी मतलब हो सकते हैं कि (बिस्मिल्लाह ना कहने से) खाने की बरकत चली गई थी और जब बिस्मिल्लाह पड़ा तो बरकत वापस आ गई]

हदीस नंबर 5:- हजरत ए हुज़ैफा रदीअल्लाहू अन्हू से रिवायत है। कहते हैं, जब हम लोग हुजूर सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम के साथ खाने में हाजिर होते, तो जब तक हुजूर शुरू ना करते हाथ ना डालते खाने में।

एक मर्तबा का वाकिया है। कि हम हुजूर के पास हाजिर थे। एक लड़की दौड़ती हुई आई। जैसे कोई उसे धकेल रहा हो। उसने खाने में हाथ डालने चाहा। हुजूर ने उसका हाथ पकड़ लिया। फिर एक आराबी दौड़ता हुआ आया। जैसे कोई उसे पीछे से ढकेल रहा है। उसने भी अपना हाथ खाने में डालना चाहा। तो हजूर सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने उसका भी हाथ पकड़ लिया और फरमाया। कि जब तक किसी खाने पर अल्लाह का नाम नहीं लिया जाता है वह खाना शैतान के लिए भी हलाल हो जाता है

और शैतान उस लड़की के साथ खाना खाए। कि मैंने उसका हाथ पकड़ लियाी। फिर उस आराबी के साथ शैतान आया। उसके हाथ को भी पकड़ लिया। कसम है उस च़ात की जिसके दस्ते-कुदरत में मेरी जान है। उसका हाथ इनके हाथ के साथ मेरे हाथ में है। उसके बाद हुजूर सल्लल््ला अलेहील्ल्ल ने अल्लाह का नाम जिक्र किया यानी बिस्मिल्लाह पड़ा और खाना शुरू किया।

हदीस नंबर 6:- हुजूर सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने फरमाया।कि जिस खाने पर अल्लाह के नाम जिक्र ना किया गया हो। वह बीमार है और उस में बरकत नहीं है। और उसका कफ़्फ़ारा यह है। कि अगर अभी दस्तरखान नहीं उठाया गया हो। तो बिस्मिल्लाह पढ़कर कुछ खा ले। और दस्तरखान उठा लिया गया हो।तो बिस्मिल्लाह पढ़कर उंगलियां चाट ले।।

।।ज़हरीला खाने का असर खत्म इस दुआ के बाद।।

हदीस नंबर 8:- इब्ने उमर रजि अल्लाह हू अन्होमा से मर्वी है। कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने फरमाया। जब खाना खाए तो दाहिने हाथ से खाए,और पानी पिए तो दाहिने हाथ से पिए।

 [सही मुस्लिम शरीफ]

[सही मुस्लिम में] उन्हीं से मर्वी है। कि हुजूर सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने फरमाया। कि कोई शख्स ना बाएं हाथ से खाएं और ना ही बाएं हाथ से पानी पिए। क्योंकि बाएं हाथ से खाना खाना पानी पीना और एक दूसरे से लेनदेन करना यह शैतान का तरीका है।।

।।कितनी उंगलियों के जरिए खाना खाया जाना चाहिए।।

हदीस नंबर 9:-इब्ने नज्जार ने हजरत ए अबू हुरैरा राडदी अल्लाहू अन्हू से रिवायत की। कि नबी करीम सल्लल्लाहो वाले वसल्लम ने फरमाया। कि तीन उंगलियों से खाना अंबिया अलैहिस्सलाम का तरीका है। 

 और हकीम ने इब्ने अब्बास रदी अल्लाहु अनुहुमा से रिवायत की। कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया। कि तीन उंगलियों से खाओ। यह सुन्नत है, और पांच उंगलियों से ना खाओ। जी आराबियो यानी जाहिल ओं का तरीका है।।


।।खाने के बाद क्या पढ़ना चाहिए।।

हदीस नंबर 10:- अब्बू उमामा रदीअल्लाहु तआला अनहु से मर्वी है। कि जब दस्तरखान उठाया जाता। उस वक्त नबी ए करीम सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम यह पढ़ते थे। [अल हमदुलिल्लाही हम दन कसीरन तैयीबनम मुबारकन फीहि ग़ैर-मक्फियीन वाला मु्द्दे-इन वला मुस्तग़ना अन्हू रब्बुना] 

[सही बुखारी शरीफ]

[तिर्मीजी, अबू दाऊद, इब्न माजा] रसूल अल्लाह 'सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम'खाने के बाद यह पढ़ते थे। [अल हमदुलिल्ला हील लदी अत्अमना वह साकाना व-ज अ-ल-ना मीनल मुस्लिमीन]


हदीस नंबर 11:- इब्ने माजा ने अनस रदीअल्लाह हू अन्हू से रिवायतकी। की  फरमाया नबी करीम सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम ने। जो यह पसंद करें। किअल्ला ताला उसके घर में खैर ज्यादा करें। तो जब खाना हाजिर किया जाए वजू करें। और जब उठाया जाए उस वक्त भी वज़ू करें। [यानी हाथ मुंह धो ले]





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